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BPSC Protest में छात्रों पर बरसीं पानी और लाठियां, PK ने Nitish Kumar को बताया भगोड़ा

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बिहार में BPSC के ख़िलाफ़ बागी हुए छात्र, हिंदू-मुस्लिम विवाद को भुलाकर नौकरी की कर रहे हैं मांग। NDA सरकार की मुश्किलें बढ़ी

BPSC यानी बिहार लोकसेवा आयोग प्री की परीक्षा के बाद अब बिहार सरकार भावी अधिकारियों का फिजिकल टेस्ट लेने में व्यस्त है। मामला BPSC की परीक्षा को रद्द कर दुबारा कराने का है। इसके लिए बिहार के पढ़े-लिखे बेरोजगार युवा एक धर्म विशेष की श्रेष्ठता वाले असल मुद्दे से भटके हुए नज़र आ रहे हैं। यहां छात्र अपनी नौकरी वाली मांग को लेकर पटना के चर्चित गांधी मैदान में जमा हो गए थे। प्रशासन के अनुसार इसके लिए छात्रों को कोई परमिशन नहीं दी गई थी। पहले धरने पर बैठे छात्रों ने सीएम आवास का घेराव करने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर जमकर लाठियां भांजी।

प्रदर्शन कर रहे छात्र गरीब और मिडिल क्लास के ही होंगे, वरना यह लोग भी किसी हिल स्टेशन जाने वाली सड़क पर ट्रैफिक क्लियर होने का इंतजार कर रहे होते। 3rd लार्जेस्ट आर्थिक महाशक्ति में आज भी ऐसे नए साल का स्वागत हो रहा है। यह कोई बहुत आश्चर्यजनक बात नहीं है। कम से कम मुख्य धारा की मीडिया के लिए यह कोई खबर नहीं है।

आज की राजनीति जन की नहीं, बस कुछ खास शख्सियतों के मन की होती है। इस बात का प्रमाण देने के लिए विपक्ष के नेता इस आपदा को अवसर के रूप में देख रहे हैं। आपको बता दें कि जनसुराज के सर्वेसर्वा प्रशांत किशोर ने भी छात्रों को समर्थन दिया।

छात्रों के इस अप्रत्याशित रवैये से NDA की डबल इंजन वाली सरकार भी मुश्किल में है। लिहाज़ा सीएम नीतीश अपने “इंडिया वापसी” की आशंका की वजह से खबरों में हैं। वहीं प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोल दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार को झुकाने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी होगी। सीएम छात्रों से डरकर दिल्ली भाग गए हैं।

बता दें कि BPSC की प्रारंभिक परीक्षा 13 दिसंबर को बिहार के 912 सेंटरों पर हुई थी। पटना के बापू परीक्षा परिसर में अभ्यर्थियों ने धांधली का आरोप लगाया था। इसके बाद बापू परीक्षा सेंटर की परीक्षा रद्द कर दी गई थी। आयोग ने 4 जनवरी को एक सेंटर पर फिर से एग्जाम लेने का नोटिफिकेशन जारी किया था। दूसरी ओर अभ्यर्थी लगातार मांग कर रहे हैं कि BPSC प्रारंभिक परीक्षा फिर से कराई जाए।

यह खबर हल्के-फुल्के अंदाज में पेश की गई है, इसलिए इसे ज़रूरत से ज्यादा गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है। उद्देश्य केवल गंभीर विषय पर थोड़ी रोशनी डालना है, न कि किसी की भावना या प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना।

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