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पॉपकॉर्न

मंत्री जी पॉपकॉर्न का सेवन नहीं करती, लेकिन आम जनता की सेहत का सवाल है

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हेल्थ इंश्योरेंस में टैक्स माफ़ी की राह देख रहा विश्वगुरु पहले पॉपकॉर्न पर मोटा टैक्स दे.. काहे की इसमें चीनी मिला है

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में पॉपकॉर्न पर लगाए गए जीएसटी दरों को स्पष्ट किया। इस बात से यह साफ़ है कि देश में हर छोटी-बड़ी वस्तु पर टैक्स है और वित्त मंत्री सीतारमण पॉपकॉर्न भी नहीं खाती हैं। पॉपकॉर्न पर टैक्स के मायने बहुत बड़े हैं।

मेरा पॉपकॉर्न मेरी पहचान

वित्त मंत्री सीतारमण ने कैरेमल पॉपकॉर्न पर उच्च कर लगाने का लॉजिक देते हुए कहा कि “जब पॉपकॉर्न में चीनी मिलाई जाती है (कैरेमल पॉपकॉर्न) तो अब यह नमकीन नहीं रह जाता, इसकी मुख्य विशेषता चीनी कन्फेक्शनरी जैसी हो जाती है।” उन्होंने यह भी कहा कि चीनी वाली उत्पादों को पारंपरिक रूप से अलग तरीके से टैक्स लगाया जाता है, जैसे शक्करयुक्त पेय पदार्थों या जूस पर होता है।

कितनी हैं पॉपकॉर्न पर जीएसटी दरें:

खुला और बिना लेबल वाला नमकीन पॉपकॉर्न: 5% जीएसटी

प्री-पैक और लेबल वाला रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न: 12% जीएसटी

कैरेमलाइज्ड पॉपकॉर्न: 18% जीएसटी
इन टैक्सों के बाद यह ग़रीबों के पहुँच से भी दुर होगा। लिहाज़ा अब आप के हाथों में जो भी पॉपकॉर्न होगा वो ही आपकी आर्थिक हालात का भी सूचक होगा।

जीएसटी दर वृद्धि से पॉपकॉर्न उद्योग पर असर

मूल्य वृद्धि की संभावना
जीएसटी काउंसिल द्वारा किए गए स्पष्टीकरण से इससे जुड़े उद्योग में महत्वपूर्ण बदलाव होने की उम्मीद है। इससे उत्पादन लागत बढ़ सकती है, जिसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा और खुदरा कीमतों में वृद्धि हो सकती है।

इस क़ीमत में वृद्धि से मांग में थोड़ी कमी आने की संभावना है, खासकर उन उपभोक्ताओं के बीच जो सरकारी टैक्स के सितम, 5 किलों राशन और बेरोज़गारी की बीमारी से ग्रसित हैं। हालांकि, वैश्विक पॉपकॉर्न बाजार 2024 में 6.53 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने और अगले पांच वर्षों में 8.2% सीएजीआर (कंपाउंड वार्षिक वृद्धि दर) से बढ़ने का अनुमान है, जिससे उद्योग मजबूत बना रहेगा।

क्या से क्या हो गया देखते-देखते

देश में हेल्थ इंश्योरेंस पर 18 % GST लगता है। लोग हेल्थ इंश्योरेंस पर टैक्स को कम किया जाए या हटाया जाने की राह देख रहे थे। लेकिन मीटिंग में पॉपकॉर्न देरी से पहुंचा तो गुस्से की भेंट यही चढ़ा गया। मंत्री जी के यहां पॉपकॉर्न का कल्चर नहीं है लेकिन देश के सेहत की चिंता है। इसकी वजह से चीनी युक्त खाने से जनता को बीमारी मुक्त रखना ही मुख्य उद्देश्य है।

यह खबर हल्के-फुल्के अंदाज में पेश की गई है, इसलिए इसे ज़रूरत से ज्यादा गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है। उद्देश्य केवल गंभीर विषय पर थोड़ी रोशनी डालना है. न कि किसी की भावना या प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना।

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