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चुनाव आयोग

अब चुनाव से जुड़े डेटा जनता के अधिकार से दूर, वोट अभी भी डाल सकते हैं- चुनाव आयोग

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लोकतंत्र और चुनाव आयोग की मजबूती के लिए सरकार ने बदले नियम

चुनाव आयोग (ईसी) की सिफारिश के आधार पर देश में लोकतंत्र और भी मज़बूत होने जा रहा है। केंद्रीय कानून मंत्रालय ने चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 93 में बदलाव किया है, ताकि अबतक जो मनमानी जागरूक जनता चुनाव से जुड़े ‘कागजातों’ या दस्तावेजों को चेक करने की मांग करती थी। उन कागजातों को पब्लिक में आने से रोका जा सके। आपको बता दें नियम 93 के अनुसार, चुनाव से संबंधित सभी ‘कागजात’ सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले रहने का प्रावधान है।

क्या हुए हैं बदलाव?

केंद्र सरकार ने चुनाव नियमों में बदलाव करते हुए सीसीटीवी कैमरा और वेबकास्टिंग फुटेज तथा उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोक दिया है, ताकि उनका दुरुपयोग रोका जा सके। नए नियमों के तहत, सभी उम्मीदवारों को मतदान के दिन फॉर्म 17 सी के माध्यम से मतदाता डेटा साझा किया जाएगा, जिसे कोई भी बदल नहीं सकेगा.

क्या है फॉर्म 17C?

फॉर्म 17C एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसका उपयोग चुनाव प्रक्रिया में मतदान के आंकड़ों का रिकॉर्ड रखने के लिए किया जाता है। यह फॉर्म मतदान के बाद भरा जाता है और इसमें प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों की संख्या, रजिस्टर्ड मतदाताओं की कुल संख्या, और वोट नहीं डालने वाले मतदाताओं का विवरण होता है।
फॉर्म 17C में दो भाग होते हैं: पहले भाग में वोटों का लेखा-जोखा होता है, जबकि दूसरे भाग में मतगणना के परिणाम शामिल होते हैं. यह फॉर्म चुनावी धांधली को रोकने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है, क्योंकि इसके माध्यम से उम्मीदवार ईवीएम डेटा की सत्यता की जांच कर सकते हैं।

हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर हाईकोर्ट ने दिया था निर्देश

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हाल ही में चुनाव आयोग को हरियाणा विधानसभा चुनाव से संबंधित आवश्यक दस्तावेजों की प्रतियां अधिवक्ता महमूद प्राचा को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। उन्होंने चुनाव संचालन से संबंधित वीडियोग्राफी, सीसीटीवी कैमरा फुटेज और फॉर्म 17-सी भाग I और II की प्रतियां मांगने के लिए याचिका दायर की थी। लेकिन अब सरकार ने नियम ही बदल कर खेल पलट दिया है। ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी।

कांग्रेस ने पूछा इतना डरता क्यों है आयोग?

कांग्रेस ने कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोकने के लिए नियम में बदलाव किए जाने को लेकर शनिवार को निर्वाचन आयोग पर निशाना साधा और कहा कि उसके इस कदम को जल्द ही कानूनी रूप से चुनौती दी जाएगी। पार्टी महासचिव जयराम ने यह सवाल भी किया कि आयोग पारदर्शिता से इतना डरता क्यों है?

आम आदमी की मुश्किलें हुई कम

चुनाव आयोग ने जनता को हो रही मुश्किलों का समाधान करते हुए नियम के बदलाव की सिफारिश की थी। चुनावी डेटा, सीसीटीवी कैमरा, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे दस्तावेज भला आम जनता के किस काम के आख़िर?

** यह खबर हल्के-फुल्के अंदाज में पेश की गई है, इसलिए इसे ज़रूरत से ज्यादा गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है। उद्देश्य केवल गंभीर विषय पर थोड़ी रोशनी डालना है. न कि किसी की भावना या प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना।**

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