एक राष्ट्र, एक चुनाव मतदान पर भाजपा अपने ही 20 नेताओं को जारी कर सकती है नोटिस
लोक सभा में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पर मतदान हुआ। विधेयक को पास होने के लिए 307 वोट चाहिए थे लेकिन 269 सांसदों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया, जबकि 198 ने इसके खिलाफ, जिसकी वजह से विधेयक संविधान संशोधन के लिए जरूरी दो-तिहाई बहुमत प्राप्त करने में विफल रहा। इस भीतरघात के कारण भारतीय जनता पार्टी (BJP) आलाकमान में गुस्सा देखा गया। इसके बाद शीर्ष नेताओं ने एक सुर में “हमको अपनों ने लुटा, गैरों में कहां दम था” गाया और विधेयक पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रहने वाले लगभग 20 सांसदों को नोटिस जारी करने की योजना बनाया।
विश्व की सबसे डिसिप्लिन पार्टी में ही इंडिसिप्लीन
बीजेपी के इन स्पेशल 20 की लिस्ट में ज्योतिरादित्य सिंधिया, गिरिराज सिंह, स्मृति ईरानी, जगदंबिका पाल और शांतनु ठाकुर जैसे बड़े और प्रमुख नेता शामिल हैं। इसके बाद विपक्ष, जिसे हर मोर्चे पर शिकस्त की आदत सी पड़ गई थी, उनमें कुछ ऊर्जा देखने को मिली। इन नेताओं के अनुपस्थित रहने से विपक्षी दलों ने आलोचना की, जिन्होंने तर्क दिया कि यह सरकार के समर्थन की कमी को दर्शाता है। बताया जा रहा है कि पार्टी (बीजेपी) ने सांसदों को मतदान में उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए तीन-लाइन व्हिप जारी किया था।
एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विधेयकों को प्रस्तुत किया, जो चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से हैं, हालांकि विपक्षी दलों ने इसे संघीय ढांचे पर हमला करार दिया है। सरकार ने विधेयकों को आगे की समीक्षा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को सौंपने का प्रस्ताव किया है। यदि एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक लागू हुआ, तो 2029 के बाद के लोक सभा चुनावों से पूरे देश में एक साथ ही चुनाव शुरू होने की उम्मीद है, और पूर्ण रूप से लागू होने में संभवतः 2034 तक का समय लगेगा।
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