/चुनाव आयोग की दिलकश शायरी से अनजान मर्कडवाड़ी गांव जहां बसते हैं भेड़ों से ज्यादा नागरिक
मर्कडवाड़ी

चुनाव आयोग की दिलकश शायरी से अनजान मर्कडवाड़ी गांव जहां बसते हैं भेड़ों से ज्यादा नागरिक

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दिल्ली में बैठी चुनाव आयोग की शायरी के आगे ईवीएम में गड़बड़ी के शोर हमेशा ही फ़ीके लगते हैं। होने भी चाहिए आयोग की शायरी और लब्ज़ के आगे चुनावी प्रकिया की भला क्या बिसात? देश में हो रही निष्पक्ष डांस ऑफ डैमोक्रेसी हमेशा ही खबरों में रहती है। चुनाव एक बार फिर से चर्चा में हैं। इस बार चुनाव आयोग को आराम देकर एक गांव ने खुद ही चुनाव कराने का जिम्मा लिया है। गांव का नाम मर्कडवाड़ी है। बताया जा रहा है यह भेड़ों की आबादी असल नागरिकों से कम है।

मर्कडवाड़ी के बागी इरादे

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के एक गांव, मर्कडवाड़ी ने हाल ही में नवंबर विधानसभा चुनाव के आधिकारिक नतीजों से असंतोष के चलते एक मॉक चुनाव कराने का प्रयास कर दिया। ग्रामीणों का दावा था कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के उम्मीदवार उत्तम जंकार को केवल 843 वोट मिले, जबकि भाजपा के राम सतपुते को 1,003 वोट मिले, हालांकि गांव पारंपरिक रूप से जंकार का समर्थन करता रहा है।

ग्रामीणों ने कहा है कि उन्हें ना तो राज्य सभा में सीट चाहिए और ना ही उनका शायरी में कुछ खास इंटरेस्ट है। इतना कहते हुए चुनाव आयोग के आंकड़ों पर अविश्वास जाहिर कर दिया। इसके साथ उन्होंने चुनावी प्रक्रिया में खामियों को उजागर करने के लिए एक मॉक चुनाव आयोजित करने की योजना भी बना डाला। उन्होंने इस आयोजन के लिए मतदान केंद्र, बैलेट पेपर और मतगणना बॉक्स तैयार किए और लगभग ₹2-3 लाख रुपये खर्च किए।

फ़र्ज़ निभाता पुलिस प्रशासन

स्थानीय प्रशासन ने इगो पर लेते हुए पुनर्मतदान के लिए उनकी मांग को ख़ारिज कर दिया। इसके लिए कानूनी प्रतिबंधों का हवाला दिया गया। चुकी यहां लोकतांत्रिक नागरिक रहते हैं लिहाज़ा तनाव पैदा हो गया और मॉक वोटिंग प्रक्रिया को रोकने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। मर्कडवाड़ी के निवासियों ने ईवीएम में गड़बड़ी की संभावना पर चिंता जताई है। हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी और मॉक चुनाव कराने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी। पुलिस अधिकारियों ने ग्रामीणों और स्थानीय नेताओं के साथ चर्चा की और उन्हें गंभीर आरोपों, जैसे कि गैरकानूनी सभा, के खतरे का हवाला देते हुए मॉक चुनाव को रद्द करने के लिए राजी किया। ग्रामीणों ने कानून प्रवर्तन के साथ टकराव से बचने के लिए मॉक चुनाव की अपनी योजना को छोड़ने का निर्णय लिया।

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