हाल ही में, संसद में संसद में फिल्म “द साबरमती रिपोर्ट” की विशेष स्क्रीनिंग हुई जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे। इस स्क्रीनिंग में प्रमुख कैबिनेट मंत्रियों जैसे अमित शाह, राजनाथ सिंह और अन्य भाजपा गठबंधन के सदस्य शामिल थे। फिल्म 2002 के गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के आसपास की एक कहानी बताने का प्रयास करती है, जिसमें 59 लोगों की मौत हुई थी और जिसने गुजरात में व्यापक सांप्रदायिक दंगों को जन्म दिया था। मोदी ने फिल्म निर्माताओं की सराहना की और उन्हें इस घटना के पीछे की “सच्चाई” को उजागर करने के लिए धन्यवाद दिया, जिसे भारतीय राजनीति में दो दशकों से विवाद का विषय माना जाता है। मोदी ने बताया कि द साबरमती रिपोर्ट पहली फिल्म है जिसे उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद देखा है।
वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट करके लिखा कि द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म ने देशवासियों को गोधरा के सच से परिचित कराया। इस फिल्म के माध्यम से लोगों को पता चल रहा है कि कैसे एक इकोसिस्टम ने इतने बड़े सच को सालों तक देश से छिपा कर रखा। आज प्रधानमंत्री श्री नरेद्र मोदी जी और NDA के सांसदों के साथ यह फिल्म देखी। इस प्रशंसनीय प्रयास के लिए ‘द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म की पूरी टीम को बधाई।
फिल्म “द साबरमती रिपोर्ट” राजनीतिक महत्व:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी साबरमती रिपोर्ट की तारीफ की और साहसिक कहानी की सराहना की. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और ओडिशा जैसे भाजपा शासित राज्यों ने भी फिल्म को टैक्स फ्री घोषित कर दिया है. फिल्म गुजरात में हुए गोधरा ट्रेन अग्निकांड पर आधारित है. मूवी बालाजी मोशन पिक्चर्स और विकिर फिल्म्स प्रोडक्शन की ओर से समर्थित है. फिल्म की रिलीज की टाइमिंग और भाजपा सरकार से मिल रहे समर्थन पर क्रिटिक्स का मानना है कि भाजपा गोधरा घटना के आसपास के घटनाक्रम को लेकर लोगों में अपने व्यू-प्वाइंट को आकार देने की निरंतर कोशिश कर रही है, जो कि गोधरा घटना होने के बाद से ही राजनीतिक रूप से विवादित रहा है। भाजपा ने ऐतिहासिक रूप से इस घटना को एक मुस्लिम भीड़ द्वारा पूर्व नियोजित हमले के रूप में पेश किया है, जबकि विपक्षी पार्टियों ने इस घटना को दुर्घटना या व्यापक सांप्रदायिक तनावों का परिणाम बताते हुए इसके पक्ष में सबूत पेश किए हैं।
मोदी की ऐतिहासिक भूमिका
गोधरा घटना के समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उनकी सरकार को बाद में हुए दंगों के प्रबंधन के लिए कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा, जिनके परिणामस्वरूप खासतौर पर मुस्लिम समुदाय के बीच बड़ी संख्या में जान-माल का नुकसान हुआ। आरोप लगते रहे हैं कि मोदी और उनकी सरकार ने इस अवधि में मुस्लिम समुदायों के खिलाफ हिंसा को न केवल सहन किया, बल्कि उसे बढ़ावा भी दिया।
दंगों की जांच में विभिन्न आयोगों ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। गुजरात सरकार द्वारा गठित नानावटी-शाह आयोग ने यह निष्कर्ष निकाला कि दंगों के पीछे कोई साजिश नहीं थी और इसे गोधरा घटना के प्रतिक्रिया के रूप में माना गया। इसके विपरीत, अन्य जांचों, जिनमें पूर्व रेलवे मंत्री लालू प्रसाद यादव के आयोग की रिपोर्ट भी शामिल है, ने यह सुझाव दिया कि आग एक दुर्घटना थी।
द साबरमती रिपोर्ट पर रिएक्शन
फिल्म को सराहना और आलोचना दोनों मिली हैं। जबकि कुछ दर्शक इसके संवेदनशील ऐतिहासिक घटना को दिखाने के प्रयास की सराहना करते हैं, वहीं अन्य इसे प्रचार, प्रोपागेंडा मानते हैं। आलोचकों का कहना है कि यह एकतरफा कहानी पेश करती है, जो एक विशेष राजनीतिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा फिल्म की सराहना करने वाले ट्वीट ने लोगों के बीच फ़िल्म को एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है। उनका समर्थन कुछ लोगों द्वारा फिल्म के व्यू-प्वाइंट को मान्यता देने के रूप में देखा जा रहा है, जिससे भारत में राजनीतिक कथाओं पर इसके प्रभाव को लेकर चर्चा हो रही है।
बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन
शुरुआती सफलता के बावजूद, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर संघर्ष कर रही है। क्रिटिक्स अनुमान लगाते हैं कि यदि फिल्म ने पीड़ितों के अनुभवों और उनके न्याय की खोज को अधिक केंद्रित तरीके से पेश किया होता, तो शायद इसका असर और प्रदर्शन बेहतर हो सकता था। शुरुआती अनुमान के मुताबिक फिल्म ने तीसरे सोमवार को 0.3 करोड़ रुपये कमाए. जिसके बाद इसका टोटल कलेक्शन 28.45 करोड़ हो गया.
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