/Adani Bribery Case:”गौतम अडानी पर 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत स्कैंडल: कानूनी और बाजार में हलचल!”
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Adani Bribery Case:”गौतम अडानी पर 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत स्कैंडल: कानूनी और बाजार में हलचल!”

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अडानी मामले में नया बवाल और बड़े आरोप!

गौतम अडानी और उनके सहयोगियों के खिलाफ 21 नवंबर 2024 को लगाए गए आरोपों ने काफी ध्यान आकर्षित किया है, खासकर अमेरिकी अभियोजकों द्वारा $250 मिलियन की रिश्वत योजना के आरोपों की वजह से। ये आरोप फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट (FCPA) के उल्लंघन से संबंधित हैं, जिसमें अडानी समूह पर भारतीय अधिकारियों को सौर ऊर्जा अनुबंधों को लेकर रिश्वत देने का आरोप है। आरोपपत्र में सुरक्षा धोखाधड़ी और न्याय में रुकावट डालने के आरोप भी शामिल हैं, जिसमें समूह पर निवेशकों को भ्रष्टाचार-विरोधी कानूनों के अनुपालन के बारे में गुमराह करने का आरोप लगाया गया है।

अडानी पर ताजा मुद्दा क्या है?

यह योजना भारतीय राज्यों, विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, के उच्च पदस्थ अधिकारियों से जुड़ी हुई थी, और इसमें रिश्वत के बारे में विस्तृत चर्चा की गई थी, जिसे मोबाइल संचार के माध्यम से दस्तावेजित किया गया था। आरोपों के बाद, अडानी समूह कंपनियों का बाजार मूल्य लगभग $28 बिलियन गिर गया, और अडानी ग्रीन एनर्जी द्वारा $600 मिलियन के बॉंड जारी करने की योजना रद्द कर दी गई।

भारत में, राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज़ रही हैं। विशेष रूप से कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी ने अडानी की गिरफ्तारी की मांग की है, और आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन गंभीर आरोपों के बावजूद अडानी का संरक्षण कर रहे हैं। हालांकि अडानी के खिलाफ कानूनी संकट के बीच, व्हाइट हाउस ने अमेरिकी-भारत संबंधों की मजबूती पर विश्वास जताया है, और वैश्विक मुद्दों पर सहयोग को जारी रखने पर जोर दिया है।

अडानी समूह की आरोपों पर सफाई

अडानी समूह ने आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें “गलत” करार दिया है और कहा है कि समूह उच्च मानकों के साथ ईमानदारी और अनुपालन का पालन करता है। कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि गौतम अडानी और उनके सहयोगी निर्दोष हैं, जब तक उन्हें दोषी साबित नहीं किया जाता, और इन आरोपों का कानूनी तरीके से मुकाबला करने को कहा है। यह बयान समूह की रणनीति को भी दर्शाता है, जो शेयर की कीमतों में आई तेज गिरावट और अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजारों में चुनौतियों का सामना करने के लिए है। आगे कानूनी प्रक्रिया जारी रहेगी और अमेरिकी अधिकारियों द्वारा अडानी और उनके सहयोगियों के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया जा सकता है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि भारत ऐसे अनुरोध को स्वीकार करेगा या नहीं।

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