/“नौकरी की जगह लाठियां: छात्रों को UPPSC की नई परीक्षा नीति का ‘तोहफा'”
UPPSC

“नौकरी की जगह लाठियां: छात्रों को UPPSC की नई परीक्षा नीति का ‘तोहफा'”

11 नवंबर 2024 को प्रयागराज में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) मुख्यालय के बाहर हजारों छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों ने मांग की कि प्रांतीय सिविल सेवा (PCS) और समीक्षा अधिकारी-सहायक समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) परीक्षाएं एक ही दिन और एक ही शिफ्ट में आयोजित की जाएं। UPPSC के इन परीक्षाओं को अलग-अलग दिन और कई शिफ्ट में कराने के निर्णय ने व्यापक आलोचना को जन्म दिया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि विभिन्न प्रश्न सेट होने से भ्रष्टाचार और अन्याय की संभावना बढ़ सकती है। तनाव बढ़ने पर पुलिस ने हस्तक्षेप किया, जिससे टकराव हुआ और बैरिकेड्स तोड़े गए।

UPPSC में क्या है बदलाव?

UPPSC परीक्षा कार्यक्रम में मुख्य बदलावों में शामिल हैं:

अलग-अलग दिन: प्रांतीय सिविल सेवा (PCS) प्री परीक्षा अब 7 और 8 दिसंबर 2024 को निर्धारित की गई है, जबकि समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) परीक्षाएं 22 और 23 दिसंबर 2024 को तीन दिनों में आयोजित की जाएंगी।

कई शिफ्ट: इन परीक्षाओं को कई शिफ्ट में आयोजित किया जाएगा, जिससे छात्रों के बीच निष्पक्षता और स्थिरता को लेकर चिंता बढ़ गई है क्योंकि हर शिफ्ट में अलग-अलग प्रश्न सेट हो सकते हैं।

सामान्यीकरण प्रक्रिया: विभिन्न शिफ्टों के परिणामों का मूल्यांकन करने के लिए सामान्यीकरण प्रक्रिया की शुरुआत की गई है। इस प्रक्रिया की छात्रों ने आलोचना की है, उनका मानना है कि इससे भ्रष्टाचार और गलत स्कोरिंग हो सकती है।

सियासत की एंट्री

पूरे मामले को लेकर सियासत तेज हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। अखिलेश ने कहा कि भाजपा के लोग, जनता को रोज़ी-रोटी के संघर्ष में उलझाए रखने की राजनीति करते हैं, जिससे भाजपाई साम्प्रदायिक राजनीति की आड़ में भ्रष्टाचार करते रहें। सालों-साल वैकेंसी या तो निकलती नहीं है या फिर परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है। भाजपा ने छात्रों को पढ़ाई की मेज से उठाकर सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है।

उन्होंने आगे कहा कि यही आक्रोशित अभ्यर्थी और उनके हताश-निराश परिवारवाले अब भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रहे हैं। नौकरीपेशा, पढ़ा-लिखा मध्यवर्ग अब भावना में बहकर भाजपा के बहलावे-फुसलावे में आनेवाला नहीं। अब तो व्हाट्सएप ग्रुप के झूठे भाजपाई प्रचार के शिकार अभिभावकों को भी समझ आ गया है कि अपनी सत्ता पाने और बचाने के लिए भाजपा ने कैसे उनका भावनात्मक शोषण किया है।अखिलेश ने तंज भरे लहजे में कहा कि की चलवाया लाठी-डंडा, ‘नौकरी’ नहीं जिनका एजेंडा!

हिंदी बेल्ट की भावुक जनता पर भरोसा जताते हुए सपा नेता ने कहा कि अब कोई भाजपाइयों का मानसिक ग़ुलाम बनने को तैयार नहीं हैं। अब सब समझ गये हैं, भाजपा सरकार के रहते कुछ भी नहीं होनेवाला। भाजपा के पतन में ही छात्रों का उत्थान है। भाजपा और नौकरी में विरोधाभासी संबंध है। जब भाजपा जाएगी, तभी नौकरी आएगी।

ऐसे और भी खबरों के लिए जुड़े thedigisamachar से।